सोमवार, 14 जून 2010

जिन्दगी का दर्द

जिन्दगी का दर्द




दर्द से भरे यक समन्दर को बहते ही देखा !


इस हाल भी use hanste देखा हुए देखा !!


दम तोड़ती उम्मीदों की नदियो में बनके !


आशा का बादल बरस्ते हुए देखा !!


टूटती थी लम्हा , जिन्दगी चाहत हरपल !


अपनों से मिलने के लिय तरसते हुए देखा !!


बिछड़े थे कबके मालुम न था उसे !


यादो के जीवन को कटते हुए देखा !!


किस मोड़ पर लेकर , जाएगी जिन्दगी !


हर मोड़ पर उसे भटकते देखा !!


दर्द से भरे एक समंदर को देखा !


इस हाल में उसे हँसते हुए देखा !!

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