आज मै बात कर रही हूँ दोस्ती की जो मेरे जिन्दगी में काफी अहमियत रखती है जैसे जल के बीना जीवन है ,वैसे ही दोस्ती के बिना जिन्दगी ,कभी-कभी यही दोस्ती बहुत बड़ा मुकाम भी हासिल करती है , आज मै अपनी दोस्ती के बारे मै बताती हूँ की मेरी बचपन की दोस्त सना हेदर जिसके साथमैंने क्लास १ से पढ़ना शुरू किया था हम साथ स्कूल जाते थे और साथ मै टिउसन भी पढ़ते थी ,उसके त्यौहार पर मैऔर उसके त्यौहार हम दोनों ही नये कपडा पहनते थे ,उस दोस्ती को मै आज भी याद करती हु क्लास १० में मेरे पापा का ट्रांसफर हो गया और मै baliya
चली आई , लकिन आज भी हम फोन से जुने है मेरी दोस्त मुसलमान है लेकिन हमारी दोस्ती के बीच कभी धर्म नहीं आया ,उसके और मेरे परिवार के बीच आज भी अच्छे सम्बन्ध है
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